धीरे धीरे
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धीरे धीरे चल जिन्दगी
कुछ वादे अभी बाकी है ।
वो लम्हेे जिन्हें जिन्दगी कहे ,वो गजारने अभी बाकी है
शाम ढले सन्घ्या संग,आंखों के जाम पिलाने बाकी है॥
धीरे धीरे --------
गीत गोविन्द के मधुर शब्दों से शब्दों को मिलाकर
श्वासो की तार का कम्पन अधर मे रह गई स्नेह दिग्ध बातो का चुम्बन अभी बाकी है॥
धीरे धीरे --------
नयनों की कोर मे आए अधकचरे से आंसू ,परित्यक्ता बनी स्ञी का मोन,रूधे गले का रूदन अभी बाकी है॥
धीरे धीरे -------
श्वासों की गर्माहट से उतर कर स्पर्श के मायाजाल तक पहुुंचना ,कथा चरित्र बन नाटक के दर्शक सा बन
जीवन के रस का पान,अभी बाकी है॥
धीरे धीरे ------
बाकी है अभी मेरा मुझको पाना,बाकी है अभी अमर हो जाना ।बाकी है अभी बाहों में आकर सिने की गर्माहट को पाना॥
धीरे धीर --------
स्वप्न धमिल से बिखरे सपनों को उपहार स्वरूप तुम्हें देना ।क्या पता तुम फेंक दो उन्हे रद्दी का टुकड़ाा समझ किसी गुसदान के नीचे या ऐवज में दोगे अमिट सौगात या बिसार दोगे मेरी ही तरह उन्हे भी॥
धीरे धीरे चल जिन्दगी ------------
शाम ढले सन्घ्या संग,आंखों के जाम पिलाने बाकी है॥
धीरे धीरे --------
गीत गोविन्द के मधुर शब्दों से शब्दों को मिलाकर
श्वासो की तार का कम्पन अधर मे रह गई स्नेह दिग्ध बातो का चुम्बन अभी बाकी है॥
धीरे धीरे --------
नयनों की कोर मे आए अधकचरे से आंसू ,परित्यक्ता बनी स्ञी का मोन,रूधे गले का रूदन अभी बाकी है॥
धीरे धीरे -------
श्वासों की गर्माहट से उतर कर स्पर्श के मायाजाल तक पहुुंचना ,कथा चरित्र बन नाटक के दर्शक सा बन
जीवन के रस का पान,अभी बाकी है॥
धीरे धीरे ------
बाकी है अभी मेरा मुझको पाना,बाकी है अभी अमर हो जाना ।बाकी है अभी बाहों में आकर सिने की गर्माहट को पाना॥
धीरे धीर --------
स्वप्न धमिल से बिखरे सपनों को उपहार स्वरूप तुम्हें देना ।क्या पता तुम फेंक दो उन्हे रद्दी का टुकड़ाा समझ किसी गुसदान के नीचे या ऐवज में दोगे अमिट सौगात या बिसार दोगे मेरी ही तरह उन्हे भी॥
धीरे धीरे चल जिन्दगी ------------
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